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Pregnancy में Depression से कैसे निपटें ?

क्या   Pregnancy   में   Depression   खत्म करने की दवाइयां लेना सुरक्षित है  ? नहीं , हमेशा नहीं ! क्या आपको यह लेते रहना चाहिये  ? शायद हाँ। Pregnancy   के समय   Depression   खत्म करने की दवाइयां लेना बड़ी बहस और उलझन का मामला है। आस - पास के लोग और परिवार की मान्यताएं आपको यकीन दिलाती हैं कि माँ बनना आपके जीवन की सबसे खुशगवार घटना होती है। काफी हद तक वे सही हैं लेकिन जबकि माँ बनना एक कामयाबी भरा सफर होता है उस समय गर्भावस्था औरत के शरीर के लिये सबसे ज्यादा चिंतित करने वाली बात होती है।   हार्मोन के उतार - चढ़ाव , शारिरिक बदलाव , नसों में ऐंठन , सुबह - सुबह जी मिचलाना , भूख बढ़ जाना और खाने का मन भी न होना जैसी बातों की वजह से आपका मन और शरीर आपस में लुका - छिपी का खेल खेलते हैं और इन अचानक होने वाले शारीरिक बदलावों की आपको कोई चेतावनी नहीं मिलती। मुझे गलत न समझें। बेशक , एक खुश और सेहतमंद शिशु की चाह रखना ही वह कीमती चीज है जो गर्भ

Pregnancy Care tips in Hindi

Pregnancy यानि गर्भावस्था का समय हर स्त्री के लिए बहुत खास होता है। खासकर पहले बच्चे के जन्म का समय। अक्सर ऐसी स्थिति में महिलाओं को मानसिक और शारीरक तौर पर बहुत से तकलीफ और डर रहता है। वे अपनी सेहत को लेकर अक्सर कन्फ्युज होती है। क्या करना ठीक है ?  क्या करना ठीक नहीं है ?  यही सवाल उनके दिमाग में होते हैं जिनका जवाब या तो वें किताबों और इंटेरनेट से पढ़कर ढूंढती है या फिर किसी बूढ़े-बुजुर्ग की मदद से जाती है।  ज़्यादातर डॉक्टर प्रेग्नेंसी के शुरुआती  3  महीनों में खास सावधानी रखने की हिदायत देते हैं। प्रेग्नेंसी में सभी महिलाओं के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ चीज़ें/बातें ऐसी हैं जिनका ख्याल रखना हर गर्भवती के लिए ज़रूरी हैं। प्रेगनेंसी के शुरूआती महीनों में गर्भवती महिला ने किन विशेष बातों का ख्याल रखना है इसकी जानकारी आज इस लेख में हम आपको देने जा रहे हैं : Source : cdv.gov प्रेगनेंसी में शुरूआती दिनों में महिला क्या ख्याल रखे ?  Pregnancy care tips in Hindi गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में महिलाओं ने निचे दिए हुए बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए : डॉक्टर से

नन्हें शिशु को समझने के टिप्स

नवजात शिशु का आगमन जीवन में कई सारी ख़ुशियां और उमंग लेकर आता है। लेकिन उनका पालन पोषण करना, उनको समझना और उनकी उचित देखभाल करना यह सब एक नई माँ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है। क्योंकि बच्चे के शुरुआती दिनों में यह समझना थोड़ा मुश्किल लगता है। कि उसे कब भूख लगी है, उसे कब कोई दर्द या तक़लीफ़ है। ऐसे में छोटे बच्चों को विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है। इस उम्र में छोटे बच्चे को दूध पिलाने, उसे नहलाने, मालिश करने और उसकी नैपी बदलते समय काफ़ी सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि आपका बच्चा हमेशा हंसता मुस्कुराता रहे। नन्हें शिशु की उचित देखभाल के लिए उन्हें समझना बहुत ज़रूरी है क्योंकि छोटे बच्चें सिर्फ़ रोकर अपनी ज़रूरतों के बारे में बताते हैं ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने शिशु की आदतों को जानें और उसे समझें। नन्हें शिशु क्यों रोते हैं? आमतौर पर आप सब ने छोटे बच्चों को बहुत रोते हुए देखा होगा। क्योंकि छोटे बच्चों को जब भी भूख लगती है या उनकी नैपी गीली होती है या जब वह कोई नया चेहरा देखते हैं या जब कोई नई आवाज़ सुनते हैं या जब उसे बड़ों द्वारा गोद में उठाए जाने की मुद्रा पसंद नहीं आती या फिर उसे कोई भ

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष योगासन

मातृभाषा की पहचान आज हम आपको कुछ ऐसे आसन बताएंगे जिसको अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गर्भवती महिलाओं के लिए भी कर सकती है। 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योगा अपनाकर अपनी लाइफ स्टाइल को चेंज करें और बीमारियों से कोसों दूर रहे। जब कोई महिला पहली बार गर्भवती होती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता महिला के साथ-साथ उसका पूरा परिवार नन्ही खुशी आने का इंतजार करता है| लेकिन गर्भवती महिलाओं की सबसे बड़ी चिंता अपने आने वाले बच्चे को लेकर बनी रहती है, जैसे बच्चे के जन्म के समय किसी भी तरह की परेशानी ना हो वह पूरी तरह से स्वस्थ पैदा हो, गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा जो बात सोचती है वह यह है कि उनके बच्चे का वजन सामान्य होना चाहिए और यह सामान्य वजन नवजात शिशु का 3 किलो के आस पास होना चाहिए। गर्भवती महिलाएं यह सारी बात सोच-सोचकर तनाव में आ जाती है लेकिन तनाव से बचने का सबसे अच्छा तरीका योग है। गर्भवती महिलाओं को योगा की शुरुआत प्रेग्नेंट होने के 4 महीने बाद करनी चाहिए। योग आप 4 महीने से शुरू करके पूरे 9 महीने तक कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गर्भवती महिलाओं को अपने रुटीन में शामिल कर

प्रेग्नेंट लेडीज को मोदी सरकार ने दी सलाह, नॉनवेज और रिलेशनशिप से बनाएं दूरी

मातृभाषा की पहचान नई दिल्ली: जीवन के नजरियों में बदलाव लाने के लिए प्रेग्नेंट लेडीज को मोदी सरकार ने कुछ ऐसे टिप्स दिए हैं, जिनका शायद विरोध भी किया जा सकता है, क्योंकि प्रेग्नेंट लेडीज को मोदी सरकार ने नॉनवेज खाने से लेकर सेक्स ना करने की सलाह दी है। मोदी सरकार के मंत्रालय ने ये टिप्स प्रेग्नेंट  लेडीज के लिए दिए हैं। मोदी सरकार का ऐसा मानना है कि प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंट लेडीज अपने विचारों में धार्मिकता को महत्व देते हुए धार्मिक विचारों की जीवन शैली अपनाये| प्रेग्नेंट लेडीज को मोदी सरकार ने नानवेज से परहेज करने को भी कहा है। आयुष मंत्रालय में कहां है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को पार्टनर के साथ नहीं बनाने चाहिए। और धार्मिक विचारों पर विचार करना चाहिए। आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर नामक बुकलेट में यह टिप्स दिए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक आयुष राज्यमंत्री ने बुकलेट को रिलीज किया था| लेकिन डॉक्टर ने इन टिप्स को बेकार की टिप्स बताएं हैं। प्रेगनेंट लेडी को मोदी सरकार ने जो टिप्स दिए हैं उन पर कई सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर का मानना है कि प्रेगनेंसी

गर्भवती स्त्रियों को मोदी सरकार की सलाह- मीट-सेक्‍स से रहें दूर

अगर आप गर्भवती हैं तो आपको मीट नहीं खाना चाहिए. ये बात मोदी सरकार के मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को सुझाव के तौर पर कही है. यही नहीं ये भी कहा गया है कि गर्भधारण के बाद सेक्‍स को ना कहें और मन में हमेशा धार्मिक विचार बनाए रखें. आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्‍ड केयर नामक बुकलेट में ये सलाह दी है. ये है प्रेग्नेंट होने के 8 शुरुआती लक्षण हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की खबर के मुताबिक, आयुष राज्‍य मंत्री ने इस बुकलेट को रिलीज किया था.हालांकि डॉक्‍टर इस सलाह को बेकार बता रहे हैं. अपोलो हेल्‍थकेयर ग्रुप की सीनियर गायनोकॉलिस्‍ट डॉक्‍टर मालविका सभरवाल कहती हैं कि अक्‍सर गर्भवती महिलाएं को प्रोटीन डेफिशिएंसी होती है. वे एनिमिक भी होती हैं. ऐसे में मीट उनके लिए प्रोटीन और आयरन का बेहतर स्‍त्रोत है. गर्भवती हैं तो जरूर रखें इन सात बातों का ख्याल वहीं, सेक्‍स पर विशेषज्ञों की राय है कि अगर प्रेगनेंसी नॉर्मल है तो ऐसे समय में सेक्‍स किए जाने से कोई परेशान नहीं होती.

प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाए डाइट इन हिंदी

Pregnancy me kya khana Chahiye in Hindi : सुन्दर स्वस्थ और गोरा बच्चा पैदा करना हर माता पिता की इच्छा होती है। इसके लिए गर्भवती महिला को काफी ख्याल रखने की जरुरत होती है वो प्रेगनेंसी में क्या खाये क्या नहीं खाना चाहिए इसका ध्यान रखना जरुरी होता है। क्योंकि इस दौरान माँ जो भी खाती है उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। गर्भवती महिला के लिए भोजन में सब ऐसे पौषक तत्व होने चहिये जिससे बच्चा हस्ट पुष्ट निरोगी पैदा हो। हमें एक बात ध्यान रखनी चहिये माँ जो खा रही वो माँ और बेटे 2 जनो के लिए है। इसलिए प्रेगनेंसी में औरतो को विशेष डाइट लेनी चहिये जिसमे फल (fruits), सब्जिया और दूसरे खाद्य पदार्थ संतुलित मात्रा में खाने चहिये। गर्भावस्था में माँ का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है जिससे माँ और बच्चे दोनों के बीमार होने की भी आशंका ज्यादा होती है। तो चलिए आज जानते है  प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाए : Pregnancy me konsa fruit khana chahiye . प्रेगनेंसी में क्या खाना चहिये : गर्भवती महिला के लिए भोजन Pregnancy me kya khana Chahiye Diet in Hindi गर्भावस्था में कुछ ऐसे फ

गर्भवती महिला को उल्टी, गैस और कब्ज़ की समस्या से बचाने के घरेलू उपाय

गर्भवती होने पर महिला के हार्मोन में परिवर्तन होते हैं और इन्हीं परिवर्तन के कारण कुछ महिलाओं को पीठ दर्द व सिर दर्द की समस्या रहती है। इसके अलावा गर्भवती महिला को उल्टी, गैस और कब्ज़ की समस्या भी हो सकती है। गर्भधारण के बाद महिला को इन समस्याओं से बचाने के लिए ह कुछ घरेलू उपाय किए जा सकते हैं। इन घरेलू उपाय को अपनाकर आप गैस, कब्ज़ व बार बार उल्टी आने की समस्या से बच पाएंगी। इसके अलावा डॉक्टर की भी सलाह अवश्य लें। ताकि गर्भवती महिला और उसका बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। गर्भवती महिला को उल्टी आने की समस्या का घरेलू उपाय 1. अदरक अगर गर्भवती स्त्री को बार बार उल्टी हो रही हो तो उन्हे अदरक की चाय पिलाइए। इसके अलावा दो चम्मच अदरक व प्याज का रस पिलाइए। इससे उल्टी होना बंद हो जाएगी। इसके अलावा अदरक के रस में धनियां का रस मिलाकर पीने से भी उल्टी की समस्या से निजात मिलेगी। 2. तुलसी गर्भ धारण करने पर कुछ महिलाओं को बार बार उल्टी आती है। इस समस्या से बचने के लिए तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करें। इसके अलावा तुलसी के पत्ते के रस में शहद मिलाकर सेवन करें। इससे भी उल्टी बंद हो जाती है। 3. अजवाइन

प्रेगनेंसी रोकने और गर्भधारण से बचने के 7 सफल उपाय व तरीके

Pregnancy se Bachne aur Rokne ke Upay in Hindi : आज ही महंगाई में बच्चे पालना कोई आसान काम नहीं रह गया है इसलिए बहुत से लोग फैमिली प्लानिंग करते है की उन्हें कब बच्चा चाहिए और 2 बच्चो के पैदा होने के बीच कितना गैप हो। इसके लिए वो प्रेगनेंसी रोकने के हर संभव उपाय अपनाते है इसके अलावा भी प्रेगनेंसी रोकने की सबकी अपने अलग अलग वजह हो सकती है। कुछ लोग विवाह से पहले ही असुरक्षित सेक्स कर बैठते है जिससे लड़की प्रेगनेंट हो जाती है। कुछ ऐसे है जिनकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है और वो  चाहते है की जब तक वो पूरी तरह तैयार न हो जाते है बच्चा पैदा न हो। सबसे सरल और पॉपुलर गर्भधारण से बचने का तरीका है कंडोम का इस्तेमाल करना जिसके बारे में हम सब जानते है। पर कुछ लोग चाहते है वो बिना कंडोम के संभोग  का पूरा आनंद ले और फिर प्रेग्नेंट होने से भी बच जाए।  आज हम  प्रेगनेंसी रोकने व अनचाहे गर्भ से बचने घरेलू उपाय इन हिंदी : Pregnancy rokne ke Tips & Tablet  बताएँगे। प्रेगनेंसी रोकने व गर्भधारण से बचने के उपाय और तरीके Pregnancy se Bachne aur Rokne ke Upay in Hindi बिना डॉक्टर के पास जाये और कोई टेबले

गर्भावस्‍था के शुरुआती लक्षण

सहवास के बाद मासिक धर्म के बंद हो जाने पर महिलाओं को ये आशंका हो जाती है कि कहीं वो गर्भवती तो नहीं है। क्योंकि जब कोई महिला गर्भवती होती है तो गर्भ धारण करने पर प्रारम्भ में उसे कई लक्षण जैसे पीरियड्स का रुक जाना, उलटी आना, चक्कर आना, पीठ में दर्द, थकान महसूस होना, बार बार पेशाब आना और स्तनों में दर्द व तनाव होना आदि लक्षण नज़र आने लगते हैं। लेकिन हर महिला में ये लक्षण एक समान नहीं होते हैं। तो आज हम भी आपको गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें जानने के बाद आपको यह जानने में आसानी होगी कि आप गर्भवती हुई हैं या नहीं हुई हैं। गर्भावस्था के प्रारम्भिक लक्षण 1. स्‍तनों के आकार में परिवर्तन गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में स्त्रियों के स्तन थोड़े बड़े, भारी और सूजे हुए लग सकते हैं। निपल्‍स के आसपास के हिस्‍से में यानि एरोला में ज़्यादा कालापन और त्वचा में नीली नसें भी देखी जा सकती हैं। इसके अलावा गर्भ धारण करने पर हार्मोन स्तनों में रक्त आपूर्ति को बढ़ा देता है, जिससे निप्पल के आसपास सनसनाहट भी महसूस हो सकती है। 2. थकान गर्भवती होने पर थकान का महसूस होना

शिशु को बोलना कैसे सिखाये ?

Baccho ko bolna kaise sikhaye ? यह जानी-मानी बात है कि हमारे दिमाग का सबसे अधिक विकास जीवन के पहले सात वर्षों में होता है और ये शुरूआती वर्ष ही वह समय होता है जब दिमाग बढ़ता और सोचने-समझने के लिये तैयार होता है। आपका शिशु इन्हीं वर्षों में बोलना सीखता है , भाषा सीखता है और समाज से जुड़ने के लिये बोलना भी शुरू करता है। अच्छा बोलचाल वाला माहौल , अन्य लोगों की साफ और गूंजती हुयी आवाजें और भाषा ही वह चीजें हैं जो आपके शिशु को बोलना सीखने के लिये मदद करती हैं। आज इस लेख में हम आपको यह जानकारी देंगे के शिशु बोलना कब और कैसे सीखते है और उन्हें बोलना सिखने के लिए आप कैसे उनकी मदद कर सकते हैं।  शिशु के पहली बार बोलना सिखने और उन्हें बोलना सिखाने से जुडी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं : बच्चों को पहली बार बोलना कैसे सिखाये ?  How to teach baby to speak information in Hindi आवाज , शब्द और भाषा क्या है  ? आवाज , शब्द एवं भाषा हमारे बोलचाल के जरूरी हिस्से हैं।  फेफडे से निकलने वाली हवा , गले में आवाज पैदा करने वाली परतों के बीच दब कर कंपन करती है जिसकी वजह से आवाज पैदा होती है। बोल

युवतियां कैसे बने पावरफुल Mahila Sashaktikaran in Hindi – महिला सशक्तिकरण

युवतियां कैसे बने पावरफुल Mahila Sashaktikaran in Hindi – महिला सशक्तिकरण आज युवतियों के लिए खुद को सेफ रखना बहुत जरूरी है. क्योंकि बलात्कार व अपहरण जैसी वारदातें तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसे में युवतियों को चाहिए कि वे सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेकर खुद का बचाव करें. ऐसा करके वह खुद को इन परेशानियों से बचा सकती हैं. हर दिन समाचार पत्रों और टीवी पर यह खबर देखने पढ़ने को मिल जाती है, कि एक जगह पर युवती के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ या फिर अपने ही किसी जानकार ने उसके साथ अपना मुंह काला किया. युवतियों के साथ हो रही यौन हिंसा और तेजाब फेंक कर उन्हें घायल करने की बढ़ती घटनाओं ने युवतियों में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है. लेकिन युवतियों को इन वारदातों से डरने की बजाय सतर्क रहने व ऐसी घटनाओं के खिलाफ कुछ करने की जरूरत है. इस संबंध में पुलिस अधिकारियों ने कुछ ऐसी बातें बताईं जिन पर अमल करके हम खुद ऐसी परेशानियों का सामना बड़े आराम से कर सकते हैं, जैसे- ☑ आत्मरक्षा के लिए जरूरी है कि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ली जाए; ☑ किसी तरह के हमले की आशंका हो तो हमलावर की आंखों में उंगलियों से अटैक करें;