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Friendship Day 2018: अनमोल है सखी-सहेलियों का साथ Friendship Day: दोस्ती में घुलेगी मिठास, दोस्तों...

जब हमारा मन उदास हो तो वो मुस्कुराने के बहाने तलाश लाती है। हमारी खुशियों में वो भी खुश होती है। मन में उलझन हो तो सुलझाती है, मुश्किल घड़ी में सही राह दिखाती है। मीलों दूर हो तो भी हमेशा दिल के करीब बनी रहती है। उससे कोई दूराव-छिपाव नहीं रहता है, उससे मन की हर बात खुलकर कही जा सकती है। वो कोई और नहीं-सखी है, सहेली है। इनसे हमारा कोई खून का रिश्ता नहीं होता है, फिर भी यह नाता, सबसे गहरा है। सच, अगर सखी-सहेलियों का साथ न हो, उनका निश्छल स्नेह न हो, पग-पग पर उनका संबल न मिले तो जीवन सूना-सूना लगेगा। यही कारण है कि समय बदला है, रिश्तों की परिभाषा बदली है, लेकिन सहेलियों का साथ आज भी वैसा है, जैसा बरसों पहले था। उनके साथ दुनिया को हम अलग नजरिए से देखते हैं और जीवन में कामयाबी की राह पर आगे बढ़ते हैं।  
हर दायरे से परे होता है यह रिश्ता
हमारे जीवन में कई संबंध होते हैं, हर संबंध को हम एक दायरे में रहकर निभाते हैं। इन संबंधों में बड़ों को सम्मान और छोटों को प्यार देकर संबंधों का निर्वाह करना होता है। इन सभी संबंधों और रिश्तों की परिधि को हम लांघ नहीं सकते हैं, यही कारण है कि कई बार अपनों से भी मन की बातें साझा करना मुमकिन नहीं होता है। लेकिन सखी-सहेलियों के साथ रिश्ता, किसी दायरे में सिमटा नहीं होता है।
यहां सहज, सरल भाव से मन की बातें साझा होती हैं। कुछ हम अपनी कहते हैं, कुछ हम उसकी सुनते हैं। कवियों ने भी तो सखी-सहेलियों के संवाद के जरिए स्वयं के मन में उठने वाले प्रश्नों को अभिव्यक्त किया है। क्योंकि यही ऐसा रिश्ता है, जिसमें एक मन, दूसरे मन से हर बात कह सकता है। ऐसा करते समय कभी ख्याल भी नहीं आता है कि सहेली रूठ जाएगी, बुरा मान जाएगी।
क्योंकि सखी-सहेलियां दुख-दर्द बांटती हैं, देती नहीं हैं। हां, कभी ये रूठ भी जाएं तो झट मान भी जाती हैं। यह सहेली ही होती है, जिसके साथ आजाद पंछी बनकर हम उड़ पाते हैं यानी खुलकर जी पाते हैं, खुलकर हंस पाते हैं। सहेलियों का संग जब भी मिलता है, हमारा मन उत्साह-उमंग से भर उठता है, उदासी पल भर में दूर हो जाती है। 
हमेशा बनती हैं संबल 
सखियां सिर्फ हमारे जीवन को खुशियों से ही नहीं भरती हैं, वे कठिन समय आने पर संबल भी बनती हैं। राइटर कारेन सल्मनसॉन के अनुसार अगर आप पता लगाना चाहते हैं कि सच्चा दोस्त कौन है, तो मुसीबत के दौर से गुजरिए, फिर देखिए कौन आपके साथ टिका रहता है। यह बात बिलकुल सही है, क्योंकि जब भी हमारे जीवन में मुश्किल समय आता है,
ऐसे में जो अपने साथ देते हैं, उनमें सखियां भी शामिल होती हैं। वे हमारे आंसुओं को पोंछती हैं, टूटने-बिखरने से बचाती हैं, हिम्मत देती हैं। इतना ही नहीं सखियां मुश्किल घड़ी से उबारने के लिए हर संभव प्रयास भी करती हैं। इन परिस्थितियों में हमें अहसास होता है कि सच्ची सखी की अहमियत जीवन में क्या होती है? क्यों सखी-सहेलियां इतनी खास होती हैं? 
जीवन बदलने में सहायक  
सहेलियों के संग हम हंसते-मुस्कराते हैं, मुश्किल समय में अपना दुख साझा करते हैं। क्योंकि कहीं न कहीं हमें इस बात का अहसास होता है कि हमारे जीवन को बदलने में हमारी सहेलियां ही सबसे ज्यादा सहायक होती हैं। जब-तब वे हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, हमें हमारी क्षमताओं से परिचित कराती हैं। लेखक विलियम शेक्सपियर का कथन है, ‘एक दोस्त वो होता है, जो आपको वैसे ही जानता है, जैसे आप हैं।
आपके बीते हुए कल को समझता है, आप जो बन गए हैं, उसे स्वीकारता है और तब भी आपको आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ने देता है।’ सच है, सहेलियां जहां हमें आगे बढ़ने की राह दिखाती हैं, वहीं असफल होने पर साथ भी खड़ी होती हैं। इस स्थिति में वे हमें अस्वीकार नहीं करतीं, हमें निरंतर प्रयास करने के लिए कहती हैं। कई बार जीवन में आगे बढ़ने के लिए हम जो निर्णय लेते हैं,
खासकर करियर के संदर्भ में, उसमें भी सहेलियों की सलाह मददगार होती है। इतना ही नहीं, सखी-सहेलियों के व्यक्तित्व का प्रभाव भी हम पर गहरे तक पड़ता है। जब आत्मविश्वासी, समझदार सहेलियों का साथ मिलता है तो धीरे-धीरे यही गुण हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बनते हैं, जो हमें बेहतरी की तरफ लेकर जाते हैं। 
होती हैं सच्ची आलोचक 
ऐसा नहीं है कि सहेलियां सिर्फ तारीफ ही करती हैं, हमेशा हमें खुश करने वाली बातें ही कहती हैं। जिस बात पर, विषय पर हम गलत होते हैं, तब हमारी प्रिय सहेलियां, हमारी सबसे बड़ी आलोचक भी बन जाती हैं। वे बिना झिझक के हमें हमारी कमियों से रूबरू कराती हैं, किसी तरह का पर्दा हमारी आंखों पर पड़ा नहीं रहने देती हैं। सहेलियों की इन बातों का हमें भी बुरा नहीं लगता है, क्योंकि उनकी इस आलोचना में हमारा हित, निहित होता है। सहेली से मिली आलोचना, हमारा मार्गदर्शन करती है, हमें सही राह पर लेकर आती है। जी हां, सखी-सहेलियां हमारे जीवन का वो आधार हैं, जो हमें सिर्फ सबल ही नहीं बनाता, जीवन में खुशियां भी बिखेरता है। 
 

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