जाने उच्च रक्त चाप के लक्षण,प्रभाव एवम अचूक आयुर्वेदिक उपचार
क्या है उच्च रक्त चाप-
रक्तचाप धमनी की दीवारों पर लागू होने वाले बल का माप होता है। आजकल बदलती जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या की वजह से हर इंसान पर किसी न किसी तरह का तनाव पाया जाता है और इस तनाव की वजह से धमनियों में बहने वाला रक्त अधिक या कम बल से बहने लगता है और रक्तचाप की समस्या का रूप ले लेता है।
ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए (लो, हाई)?
– – आदर्श ब्लड प्रेशर 12०/6० याने ऊंचे में 12० और नीचे में 6० होना चाहिए। युवा वर्ग में अक्सर डायस्टोलिक प्रेशर बढा हुआ पाया जाता है जबकि अधिक उम्र के लोगों में सिस्टोलिक प्रेशर ज्यादा देखने में आता है।
– रक्तचाप की समस्या आजकल तेजी से सामने आ रही है। भारत की लगभग 30 प्रतिशत शहरी आबादी इस रोग की चपेट में बताई गई है।
– जबकि 10 से 12 प्रतिशत ग्रामीण इस रोग से पीडित हैं। चिकित्सा विज्ञानं में निम्न रक्त चाप की तुलना में उच्च रक्त चाप ज्यादा नुकसानदेह बताया गया है।रक्तचाप की वजह से लकवा,हार्ट अटैक,किडनी के रोग, हृदय सम्बन्धी विकार और नाड़ी मंडल की तकलीफे आदि रोग होने लगते है। रक्त चाप के अधिकतम दवाब को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। जबकि कम से कम दाब को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।
उच्च रक्त चाप की मुख्य कारण
उच्च रक्तचाप के लक्षण
उच्च रक्त चाप के कारण होने वाले कुछ संभावित प्रभाव
स्ट्रोक
उच्च रक्त चाप स्ट्रोक का जोखिम पैदा करता है। इसके कारण मस्तिष्क की कोई कमजोर नस फट सकती है, इससे मस्तिष्क में रक्त स्त्राव हो सकता है, इसे स्ट्रोक कहते हैं।
आंखों पर प्रभाव
उच्च रक्त चाप के कारण आंख की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं या उनमें रक्त स्त्राव हो सकता है। इससे नजर धुंधली हो सकती है या दिखना काफी कम हो जाता है, जिससे अंधापन भी हो सकता है।
किडनी में प्रॉब्लम
किडनी हमारे शरीर में से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है। उच्च रक्त चाप के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी और मोटी हो सकती है। इससे किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और खून में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं।
हार्ट अटैक
उच्च रक्त चाप हार्ट अटैक के सिलसिले में काफी बड़ा जोखिम खड़ा करता है। अगर ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती तो छाती में दर्द या एन्जाइना हो सकता है। अगर खून का बहाव रूक जाए तो हार्ट अटैक हो सकता है।
कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
उच्च रक्त चाप के कारण कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा रहता है। ये एक गंभीर दशा है, जिसमें ह्वदय धड़कते-धड़कते इतना थक जाता है कि ये शरीर की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त खून पम्प नहीं कर पाता।
वस्क्युलर डिमेंशिया
इसके कारण समय बीतते-बीतते, मस्तिष्क को खून की आपूर्ति और कम होती जाती है और व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है।
पैरिफेरल ब्लड वैसल डिजीज
पैरों तक खून का बहाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द तथा अन्य समस्याएं हो सकती हैं, कभी-कभी गैंगरीन भी हो जाता है।
उच्च रक्त चाप का सरल आयुर्वेदिक उपचार
शहद और आंवला –
1 बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद मिला कर सुबह खाली पेट लेने से रक्तचाप की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाती है।
काली मिर्च-
आधा गिलास गरम पानी में 1 चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलकर पीने से बढ़ा हुआ रक्तचाप कुछ ही समय में सामान्य हो जाता है।
नींबू का रस-
रक्तचाप नियंत्रण करने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में निम्बू पानी पीते रहे,आराम मिलेगा।
हरी घास पर सैर –
हर रोज नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चले । इससे रक्तचाप नियंत्रण में रहेगा।
एक गिलास ठंडा पानी –
नहाकर प्रतिदिन एक गिलास ठंडा पानी पीने से रक्त चाप सही रहता है।
पालक और गाजर –
पालक और गाजर का रस बनाकर सुबह खाली पेट लेने से आपको काफी फायदा होगा।
ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए (लो, हाई)?
– – आदर्श ब्लड प्रेशर 12०/6० याने ऊंचे में 12० और नीचे में 6० होना चाहिए। युवा वर्ग में अक्सर डायस्टोलिक प्रेशर बढा हुआ पाया जाता है जबकि अधिक उम्र के लोगों में सिस्टोलिक प्रेशर ज्यादा देखने में आता है।
– रक्तचाप की समस्या आजकल तेजी से सामने आ रही है। भारत की लगभग 30 प्रतिशत शहरी आबादी इस रोग की चपेट में बताई गई है।
– जबकि 10 से 12 प्रतिशत ग्रामीण इस रोग से पीडित हैं। चिकित्सा विज्ञानं में निम्न रक्त चाप की तुलना में उच्च रक्त चाप ज्यादा नुकसानदेह बताया गया है।रक्तचाप की वजह से लकवा,हार्ट अटैक,किडनी के रोग, हृदय सम्बन्धी विकार और नाड़ी मंडल की तकलीफे आदि रोग होने लगते है। रक्त चाप के अधिकतम दवाब को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। जबकि कम से कम दाब को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।
उच्च रक्त चाप की मुख्य कारण
- खानपान में अधिक नमक का सेवन
- मोटापा
- डायबिटीज या मधुमेह
- तनाव
- जेनेटिक फैक्टर्स
- महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
उच्च रक्तचाप के लक्षण
- चक्कर आना
- जी घबराना
- उल्टी या मितलाई
- चलते समय आँखों के सामने अँधेरा छाना
- दौरा पड़कर मुँह टेढ़ा हो जाना
- हृदय दर्द होना
- सांस लेने में परेशानी आना
- तेज सिर दर्द
उच्च रक्त चाप के कारण होने वाले कुछ संभावित प्रभाव
स्ट्रोक
उच्च रक्त चाप स्ट्रोक का जोखिम पैदा करता है। इसके कारण मस्तिष्क की कोई कमजोर नस फट सकती है, इससे मस्तिष्क में रक्त स्त्राव हो सकता है, इसे स्ट्रोक कहते हैं।
आंखों पर प्रभाव
उच्च रक्त चाप के कारण आंख की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं या उनमें रक्त स्त्राव हो सकता है। इससे नजर धुंधली हो सकती है या दिखना काफी कम हो जाता है, जिससे अंधापन भी हो सकता है।
किडनी में प्रॉब्लम
किडनी हमारे शरीर में से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है। उच्च रक्त चाप के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी और मोटी हो सकती है। इससे किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और खून में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं।
हार्ट अटैक
उच्च रक्त चाप हार्ट अटैक के सिलसिले में काफी बड़ा जोखिम खड़ा करता है। अगर ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती तो छाती में दर्द या एन्जाइना हो सकता है। अगर खून का बहाव रूक जाए तो हार्ट अटैक हो सकता है।
कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
उच्च रक्त चाप के कारण कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा रहता है। ये एक गंभीर दशा है, जिसमें ह्वदय धड़कते-धड़कते इतना थक जाता है कि ये शरीर की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त खून पम्प नहीं कर पाता।
वस्क्युलर डिमेंशिया
इसके कारण समय बीतते-बीतते, मस्तिष्क को खून की आपूर्ति और कम होती जाती है और व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है।
पैरिफेरल ब्लड वैसल डिजीज
पैरों तक खून का बहाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द तथा अन्य समस्याएं हो सकती हैं, कभी-कभी गैंगरीन भी हो जाता है।
उच्च रक्त चाप का सरल आयुर्वेदिक उपचार
शहद और आंवला –
1 बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद मिला कर सुबह खाली पेट लेने से रक्तचाप की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाती है।
काली मिर्च-
आधा गिलास गरम पानी में 1 चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलकर पीने से बढ़ा हुआ रक्तचाप कुछ ही समय में सामान्य हो जाता है।
नींबू का रस-
रक्तचाप नियंत्रण करने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में निम्बू पानी पीते रहे,आराम मिलेगा।
हरी घास पर सैर –
हर रोज नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चले । इससे रक्तचाप नियंत्रण में रहेगा।
एक गिलास ठंडा पानी –
नहाकर प्रतिदिन एक गिलास ठंडा पानी पीने से रक्त चाप सही रहता है।
पालक और गाजर –
पालक और गाजर का रस बनाकर सुबह खाली पेट लेने से आपको काफी फायदा होगा।
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