जहां प्यार होता है तकरार भी वहीं होती है लेकिन एक समझदार जीवनसाथी वही होता है जो एक दूसरे की फीलिंग की कदर करता है। रिश्तों में अगर कभी मनमुटाव हो जाए तो अपने पार्टनर की गल्ती को माफ कर दें या खुद सॉरी कहना सीखें। सॉरी बेशक बहुत छोटा शब्द है लेकिन अपनी गलती मान कर माफी मांगना बहुत बड़ी हिम्मत की बात होती है। इससे आपसी प्यार बढ़ता है और आपके रिश्ते टूटने से बच जाते है। अगर आपका पार्टनर भी आपसे नाराज है और आप उनसे दोबारा पेचअप करना चाहते हैं तो आइए जानते है कि आपको कौन सी बातों का ध्यान रखने की जरुरत है।
आरोप न लगाएं
माफी मांगते समय कोई भी आरोप न लगाएं। ये न जताएं कि गलती न होते हुए भी आप माफी मांग रहे हैं या लड़ाई की शुरुआत तो मैंने नही की थी लेकिन फिर भी झुकना पड़ रहा है। इस तरह करने से लगेगा कि आप उस पर आरोप लगा रहे हैं और आपका पार्टनर पहले से ज्यादा नाराज हो सकता है।
रिश्ते की अहमियत को समझें
मांफी मागने का मतलब है कि आपको अपने पार्टनर की जरुरत है। अपने रिश्तें को बचाने के लिए यकीन दिलाना होता है कि आप इस रिश्ते से कितने खुश है और आपको रिश्ता टूटने का बहुत दुख है ये कभी न जताएं कि आपकी लाइफ में और भी बहुत लोग है जो इस रिश्ते की पूर्ति कर देगें।
दिल से करें गलती का अहसास
माफी मांगने के लिए अापको अपनी गलती का एहसास होना जरुरी है। पैचअप का आसान तरीका है सॉरी बोल देना ।अपने रिश्ते की अहमियत को समझें। आगे से खुद में सुधार लाने का प्रोमिस करें और दोवारा गलती न दोहराने का यकीन दिलाएं।
गोल मोल बातें न करें
माफी का बेस सिर्फ सुलह होना चाहिए ज्यादा लंबी या गोल मोल बातें न करें। इससे सामने वाले को आपकी माफी मांगने की भावनाएं दिखाई नहीं देंगी। प्यार से भरे शब्दों का इस्तेमाल करके अपनी गलती को मानें और उसके लिए माफी मांगे।
झूठ का सहारा न लें
माफी मांगने के लिए झूठ का सहारा न लें। जिससे माफी मांग रहें हैं उसे सही रुप से बताएं कि आप क्यों अपनी गलती मान रहे हैं। इससे उन्हें आपको माफ करने में मुश्किल नहीं होगी। खुद को बेकसूर जताने के लिए झूठी कहानी न बुने ऐसा करने से आप रिश्ते को बचाने का आखिरी मौका भी गवां सकते हैं।
मिलिए भारत की पहली महिला फायर फाइटर हर्षिनी कान्हेकर से (India’s First Woman Firefighter Harshini Kanhekar)
पुरुषों के क्षेत्र में क़दम रखकर हर्षिनी ने न स़िर्फ इतिहास रचा है, बल्कि कई लड़कियों की प्रेरणा भी बनी हैं. हर्षिनी कान्हेकर के लिए भारत की पहली महिला फायर फाइटर बनने का सफ़र कितना संघर्ष भरा था? आइए, उन्हीं से जानते हैं. मैं यूनीफ़ॉर्म पहनना चाहती थी यूनीफॉर्म पहने ऑफिसर्स को देखकर मैं हमेशा यही सोचती थी कि आगे चलकर मैं भी यूनीफॉर्म पहनूंगी, चाहे वो यूनीफॉर्म कोई भी क्यूं न हो. एडवेंचरस एक्टिविटीज़ मुझे बहुत पसंद थीं इसलिए पढ़ाई के दौरान मैं एनसीसी की केडेट भी रही. पीसीएम में बीएससी करने के बाद मैं आर्मी, एयरफोर्स, नेवी ज्वाइन करना चाहती थी और इसके लिए तैयारी भी कर रही थी. जब हम एचएसबी एंटरेंस एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे थे, तो अपने शहर (नागपुर, हर्षिनी नागपुर की रहने वाली हैं) की 10 बेस्ट चीज़ें बताओ वाले सवाल के जवाब के लिए हम नेशनल फायर सर्विस कॉलेज (एनएफएससी) के बारे में भी रटते रहते थे कि यह एशिया का एकमात्र फायर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट है और मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के अंतर्गत संचालित किया जाता है. मेरा फॉर्म अलग रख दिया गया था उसी दौरान मेरे एक फ्रेंड ने बताया
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